Ragas from Thaatt

Raagठाटों से उत्पन्न राग

कम से कम पाँच और अधिक से अधिक सात स्वरों की वह सुन्दर रचना जो कानों को अच्छी लगे राग कहलाती है।

योऽयं ध्वनि-विशेषस्तु स्वर-वर्ण-विभूषित:।
रंजको जनचित्तानां स राग कथितो बुधै:।।

______________________________________

अर्थात्

स्वर और वर्ण से विभूषित ध्वनि, जो मनुष्यों का मनोरंजन करे, राग कहलाता है।

बिलावल ठाठ के राग

बिलावल शुद्ध, अल्हैयाबिलावल, शुक्लबिलावल, देवगिरी,

यमनी, ककुभ, नटबिलावल, लच्छासाख, सरपर्दा, विहाग,

देशकार, हेमकल्याण, नट राग, पहाड़ी, मांड, दुर्गा, मलुहा,

शंकरा इत्यादि।

कल्याण ठाठों के राग

यमन, भूपाली, शुद्ध कल्याण, चन्द्रकान्त, जयतकल्याण, मालश्री, हिंदोल, हामीर, केदार, कामोद, श्याम, छाया-नट,

गौड़सारंग, इत्यादि।

भैरव ठाठ के राग

भैरव, रामकली, बंगालभैरव, सौराष्ट्रटंक, प्रभात, शिवभैरव, आनंदभैरव, अहीरभैरव, गुणकली, कालिंगड़ा जोगिया,

विभाग, मेघरंजनी इत्यादि।

खमाज ठाठ के राग

झिंझोटी, खमाज, दुर्गा द्वितीय, तिलंग, रागेश्वरी, खंबावती, गारा, सोरठ, देश, जेजैवंती, तिलककामोद इत्यादि।

भैरवी ठाठ के राग

भैरवी, मालकौंस, धनाश्री, विलासखानी तोड़ी इत्यादि।

तोड़ी ठाठ के राग

तोड़ी (चौदह प्रकार की), मुलतानी इत्यादि।

मारवा ठाठ के राग

मारवा, पूरिया, जैत, मालीगौरा, साजगिरी, वराटी, ललिट, सोहनी, पंचम, भटियार, विभास, भंखार इत्यादि।

काफ़ी ठाठ के राग

काफ़ी, सैंधवी, सिंदूरा, धनाश्री, भीमपलासी, धानी, पटमंजरी, पटदीपकी, हंसकंकणी, पीलू, बागेश्वरी, शहाना, सूहा,

सुघराई, नायकीकान्हड़ा, देवसाख, बहार, वृन्दावनी सारंग, मध्यमादि सारंग, सामंतसारंग, शुद्ध सारंग, मियाँ की सारंग,

बड़हंससारंग, शुद्ध मल्लार, मेघ, मियाँ की मल्लार, सूरमल्लार, गौड़मल्लार इत्यादि।

पूर्वी ठाठ के राग

पूर्वी, पूर्याधनाश्री, जेतश्री, परज, श्रीराग, गौरी, मालश्री, त्रिवेणी, टंकी, वसंत इत्यादि।

आसावरी ठाठ के राग

आसावरो, जैनपुरी, देवर्गाधार, सिंधुभैरवी, देसी, षट्राग, कौशिक कान्हड़ा, दरबारी कान्हड़ा, अडाणा, नायकी द्वितीय

इत्यादि।

Share this article :

0 comments: